10 हजार से ज्यादा दंपतियों को मिला आईवीएफ तकनीक का लाभ : डॉ. धन सिंह रावत
देहरादून, 24 सितंबर 2025:
उत्तराखंड में अब तक 10,560 दंपतियों को आईयूआई और आईवीएफ तकनीक के जरिए संतान सुख प्राप्त हुआ है। वहीं, 56,008 लोगों ने सहायक प्रजनन तकनीक (ART) से जुड़ा चिकित्सकीय परामर्श लिया है। ये जानकारी राज्य के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दी।
यह जानकारी राज्य स्तरीय एआरटी और सरोगेसी बोर्ड की सालाना बैठक में दी गई, जो सचिवालय के सभागार में आयोजित हुई। बैठक में एआरटी अधिनियम 2021 और सरोगेसी अधिनियम 2021 के प्रभावी क्रियान्वयन, पारदर्शिता और नैतिकता पर चर्चा की गई।
डॉ. रावत ने बताया कि इन अधिनियमों के लागू होने से निःसंतान दंपतियों को बड़ी राहत मिली है। उन्होंने दंपति रश्मि शर्मा और नितिन शर्मा के बेटे आयांश को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह तकनीक कई परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बन रही है।
बैठक में मौजूद स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बांझपन की बढ़ती समस्या पर बात की और कानूनों को बेहतर तरीके से लागू करने के लिए सुझाव दिए। वहीं, अपर सचिव अनुराधा पाल ने दूसरे विभागों के साथ समन्वय बनाकर काम करने की बात कही।
राज्य की नोडल अधिकारी डॉ. सुनीता चुफाल ने एक प्रेजेंटेशन के जरिए जानकारी दी कि उत्तराखंड में:
🔹 लेवल-1 के 8 एआरटी क्लीनिक
🔹 लेवल-2 के 29 एआरटी क्लीनिक
🔹 11 एआरटी बैंक
🔹 2 सरोगेसी क्लीनिक
पंजीकृत और क्रियाशील हैं।
जिलावार स्थिति इस प्रकार है:
🔸 देहरादून में
- लेवल-1 के 6 क्लीनिक
- लेवल-2 के 18 क्लीनिक
- 6 एआरटी बैंक
- 2 सरोगेसी क्लीनिक
🔸 हरिद्वार में
- लेवल-1 का 1 क्लीनिक
- लेवल-2 के 4 क्लीनिक
- 6 एआरटी बैंक
🔸 नैनीताल में
- लेवल-1 का 1 क्लीनिक
- लेवल-2 के 3 क्लीनिक
- 3 एआरटी बैंक
🔸 ऊधमसिंहनगर में
- लेवल-2 के 4 क्लीनिक
- 3 एआरटी बैंक
राज्य में इन अधिनियमों को सही तरीके से लागू करने के लिए:
- राज्य स्तर पर एआरटी और सरोगेसी बोर्ड
- राज्य समुचित प्राधिकारी
- अपील अधिकारी और जनपद स्तर पर मेडिकल बोर्ड गठित किए गए हैं।
इस बैठक में कैंट विधायक सविता कपूर, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनीता टम्टा, निदेशक स्वास्थ्य डॉ. शिखा जांगपांगी, सहित कई अन्य अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल रहे।
अब तक 56 हजार लोगों ने लिया बांझपन से जुड़ा परामर्श
