उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में पानी की कमी को दूर करने के लिए एक बड़ी और महत्वाकांक्षी योजना की तैयारी की जा रही है। इस योजना के तहत पिंडर नदी को कोसी नदी से जोड़ने की प्रस्तावित परियोजना पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। पिंडर नदी हिमालयी ग्लेशियरों से निकलती है, जबकि कोसी नदी मानसून पर निर्भर रहती है और गर्मियों में इसका जलस्तर काफी कम हो जाता है। ऐसे में इस योजना को जल संकट से जूझ रहे क्षेत्रों के लिए उम्मीद की किरण माना जा रहा है।
🚇 45 किलोमीटर लंबी सुरंग का प्रस्ताव
इस परियोजना का प्रस्ताव खटी गांव के पास तैयार किया गया है। योजना के अनुसार पिंडर नदी का पानी 45 किलोमीटर लंबी सुरंग (टनल) के माध्यम से कोसी नदी तक पहुंचाया जाएगा। इस सुरंग से पानी को उन क्षेत्रों तक पहुंचाया जा सकेगा, जहां हर साल गर्मियों में पेयजल और सिंचाई की भारी समस्या खड़ी हो जाती है।
🚜 किसानों और गांवों को मिलेगा फायदा
अगर यह योजना जमीन पर उतरती है, तो बागेश्वर और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले हजारों लोगों को राहत मिल सकती है। परियोजना से:
- किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा
- पेयजल संकट को काफी हद तक कम किया जा सकेगा
- सूखे इलाकों में खेती को बढ़ावा मिलेगा
- ग्रामीणों की जीवनशैली में सुधार आ सकता है
🌿 पर्यावरणीय संतुलन पर चिंता
हालांकि परियोजना अभी केवल प्रस्ताव के स्तर पर है। विशेषज्ञों का कहना है कि टनल निर्माण और नदी जोड़ो परियोजना का पर्यावरण पर असर भी गंभीर हो सकता है। इसलिए परियोजना शुरू होने से पहले कई मुद्दों पर गंभीर विचार करना जरूरी है, जैसे:
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA)
- भूकंपीय और भूगर्भीय जांच
- स्थानीय लोगों की सहमति
- जल प्रवाह और पारिस्थितिकी पर असर
🛠️ सरकार और प्रशासन कर रहे हैं मूल्यांकन
सूत्रों के अनुसार स्थानीय प्रशासन ने इस परियोजना के संभावित लाभों और चुनौतियों पर रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। परियोजना को आगे बढ़ाने से पहले वैज्ञानिकों, जल विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों की राय ली जाएगी।
अगर यह योजना सफल होती है, तो यह उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक जल परियोजना साबित हो सकती है। बागेश्वर के लोगों को इससे बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। अब सभी की नजर सरकार के अगले फैसले पर टिकी है।