उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लाने वाला विद्या समीक्षा केन्द्र (VSK) अब प्रदेश के स्कूलों को बेहतर बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम बन चुका है। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत शुरू की गई इस पहल का मकसद है – स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारना, शिक्षकों की भागीदारी बढ़ाना और बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करना।
प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि विद्या समीक्षा केन्द्र की मदद से अब सभी नीतिगत फैसले डेटा यानी सही आंकड़ों के आधार पर लिए जा रहे हैं। इससे स्कूलों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, शिक्षकों की जवाबदेही और शिक्षा की गुणवत्ता में काफी सुधार आया है।
📊 क्या है विद्या समीक्षा केन्द्र की खास बातें?
अब तक राज्य के 16,052 स्कूलों को विद्या समीक्षा केन्द्र से जोड़ा जा चुका है।
46,000 से अधिक शिक्षकों को आधुनिक तकनीकों पर आधारित प्रशिक्षण (सीपीडी) दिया गया है।
पूरे प्रदेश में छात्रों की पढ़ाई, उपस्थिति और शिक्षकों की भागीदारी की रीयल टाइम निगरानी की जा रही है।
लगभग 95% स्कूलों में ‘मेरी उपस्थिति’ चैटबॉट के जरिए छात्रों और शिक्षकों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज हो रही है।
6.5 लाख छात्रों को ‘पारख उत्तराखंड’ प्लेटफॉर्म से अतिरिक्त अध्ययन सामग्री मिल रही है।
57,000 छात्रों का मूल्यांकन और 46,323 शिक्षकों का प्रशिक्षण ई-सृजन चैटबॉट के जरिये पूरा हुआ है।
🧠 6-ए फ्रेमवर्क: आसान और स्मार्ट सिस्टम
डॉ. रावत ने बताया कि विद्या समीक्षा केन्द्र के तहत एक “6-ए फ्रेमवर्क” तैयार किया गया है, जिसमें ये 6 अहम हिस्से शामिल हैं:
उपस्थिति (Attendance)
मूल्यांकन (Assessment)
अनुकूलनशील अधिगम (Adaptive Learning)
प्रमाणीकरण (Accreditation)
प्रशासन (Administration)
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
इससे स्कूलों से डेटा इकट्ठा करना अब आसान, पारदर्शी और तेज हो गया है।
✅ बदलाव की दिशा में बड़ा कदम
डॉ. रावत ने कहा कि विद्या समीक्षा केन्द्र के जरिये अब फैसले ज्यादा सटीक और प्रभावी हो रहे हैं। यह केन्द्र उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था को डिजिटल, पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है।
आने वाले समय में इसका दायरा और बढ़ाया जाएगा, जिससे छात्रों की पढ़ाई, शिक्षकों का प्रशिक्षण और नीति निर्धारण और बेहतर हो सकेगा।